प्रथम इंटरनेशनल की कहानी

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New Delhi: Aakar
2018
122 pages

पिछले पचीस सालों में एक के बाद एक बड़े राजनीतिक-आर्थिक बदलाव तीव्र गति से हुए हैं । पारिस्थितिकी के सवाल की मुख्यता, नवउदारवादी वैश्वीकरण से उत्पन्न सामाजिक बदलाव, और हाल के दुनिया के अब तक के सबसे विनाशकारी आर्थिक संकट ने पूंजीवाद के विकल्पों के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है ।

अपने अल्पकालीन जीवन में प्रथम इंटरनेशनल वर्ग संघर्ष का प्रतीक बन गया था और इसने समूची धरती के करोड़ो कामगारों की सोच को प्रभावित किया था । इसके जन्म की डेढ़ सौवीं जयंती ने इसके प्रस्तावों को उलटकर फिर से देखने, इसके नायकों के अनुभवों से सीखने और हमारे समकालीन सवालों के समाधान खोजने का महत्वपूर्ण मौका उपलब्ध कराया ।

मशहूर विद्वान मार्चेलो मुस्तो ने इसके दस्तावेजों को उनके ऐतिहासिक संदर्भ में देखा और पूंजीवाद की आलोचना तथा मजदूर आंदोलन की स्थापना में रुचि रखने वालों के लिए यह मूल्यवान रचना की है ।

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Table of contents

अ्रस्तावना  7
प्रथम इंटरनेशनल की कहानी  9
परिशिष्ट  72

दस्तावेज

1. इंटरनेशनल की उद्घाटन-घोषणा / कार्ल मार्क्स  77

2. इंटरनेशनल की आम नियमावली » कार्ल मार्क्स  87

3. अस्थायी जनरल कौंसिल के डेलीगेटों के लिए निर्देश : विभिन्‍न प्रश्न / कार्ल यार्क्स  91

4. कफ्रांको-एशियाई युद्ध के बारे में इंटरनेशनल की जनरल कौंसिल की पहली चिट्ठी / कार्ल मार्क्स  102

5. कफ्रांको-एशियाई युद्ध के बारे में इंटरनेशनल की जनरल कौंसिल की दूसरी चिट्ठी / कार्ल मार्क्स  108

6. मज़दूर वर्ग की राजनीतिक क्रिया के बारे में / फ्रेडरिक एगेल्स  117

7. हैग में हुई जनरल कांग्रेस के ग्रस्तावों का एक अश / कार्त मार्क्स तथा फ्रेडरिक एगेल्स  119

8. हेग कांग्रेस / कार्ल गार्क्स  120